
दिवाली की रात दिल्ली ने रौशनी से स्वागत किया, और अगली सुबह धुंध से मुंह मोड़ लिया। ग्रीन पटाखों के आदेश थे, पर लगता है रंग के साथ आवाज़ और जहर भी फ्री में मिला। शहर ने धुएं का दीपदान किया और नतीजा ये निकला कि दिल्ली अब literal “Gas Chamber” बन गई है।
Smog so thick, कि लोग आंखों में Gulabjal डालकर GPS से रास्ता ढूंढ रहे हैं।
407 बार जल उठी दिल्ली – फायर डिपार्टमेंट का दिवाली ड्यूटी बोनस तय!
दिल्ली फायर ब्रिगेड को रातभर नींद नहीं आई।
“कृपया कॉल होल्ड पर रहिए, आपकी आग जल रही है…” 407 कॉल्स, और 400+ में वजह थी – “पटाखा प्रोड्यूस्ड ब्लास्ट”।
हालांकि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन कर्मचारियों की नींद और कॉल सेंटर की कॉलिंग टोन जरूर स्वाहा हो गई।
AQI का स्कोर – दिल्ली vs Oxygen, Oxygen हार गई!
दिल्ली का औसत AQI: 347
कुछ इलाकों में 400+ यानी सीधा ICU लेवल
| इलाका | AQI स्तर | 
|---|---|
| वजीरपुर | 408 | 
| बवाना | 418 | 
| जहांगीपुरी | 404 | 
| विवेक विहार | 367 | 
| आनंद विहार | 352 | 
| रोहिणी | 367 | 
| द्वारका | 333 | 
ये आंकड़े देखकर लगता है कि सांस लेना अब ‘Luxury’ की श्रेणी में आ गया है।
हवा चली, लेकिन सिर्फ WhatsApp पर
मौसम विभाग के अनुसार, हवा 5 किमी/घंटा की रफ्तार से दक्षिण-पूर्व से चल रही है। यानी इतनी धीमी, जितनी मां की डांट के बाद पापा की सॉरी।
धुंध 26 अक्टूबर तक बनी रहेगी, और ठंड धीरे-धीरे चुपके से गर्दन में घुस जाएगी।

GRAP-2 लागू, पर लोगों का ग्राफ Common Sense में डाउन ही रहा!
दिल्ली में GRAP-2 (Graded Response Action Plan) लागू है, लेकिन Diwali के जोश में कोई नियम नहीं सुना गया।
लोग बोले:
“अरे! साल में एक बार ही तो जलाते हैं… सांस तो सालभर चलती है ना?”
और अब सांस भी “buffering…” में चल रही है।
सरकार और प्रशासन “निगरानी” में हैं, लेकिन समाधान की रफ्तार वैसी ही धीमी है जैसी दिल्ली की हवा। अब या तो लोग खुद जागें, या फिर “Oxygen cylinder” को दिल्ली वालों की नई लाइफस्टाइल एक्सेसरी घोषित कर दिया जाए।
दिवाली की मिठास तो थी… लेकिन अब ज़हर घुला मीठा मिल रहा है। पटाखों से भले कुछ घंटे की खुशी मिल गई हो, लेकिन आने वाले कई दिन फेफड़े माफ नहीं करने वाले।
तो अगली बार, Green पटाखों की जगह Green Planet चुनिए — वरना अगली दिवाली तक Mask ही फेस का स्थायी हिस्सा बन जाएगा।
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